पंडित : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में मंगलवार को
भी गिरावट रही, और वह 61.80 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच
गया। मुद्रा बाजार में मंगलवार के कारोबार के शुरुआती दौर में ही रुपये में
यह गिरावट दर्ज की गई, हालांकि बाद में वह कुछ सुधरकर 61.57 के स्तर पर
पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई को भी रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 61.21 का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। वैसे सोमवार को भी रुपया गिरावट के साथ 60.88 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। उधर, यह गिरावट इसलिए भी उल्लेखनीय और आश्चर्यजनक है, क्योंकि डॉलर में भी कुछ अन्य बड़ी मुद्राओं की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट का असर शेयर बाज़ारों पर भी पड़ा है, और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स भी मंगलवार को लगभग डेढ़ महीने बाद एक बार फिर 19,000 के स्तर से नीचे पहुंच गया। पिछली बार सेंसेक्स 19,000 से नीचे इसी साल 27 जून को गया था।
बताया जा रहा है कि अमेरिका में रोजगार के नए आंकड़ों के आने के बाद अमेरिका के केंद्रीय ने बैंक ने आर्थिक सुधारों के लिए दी जा रही छूट में सावधानी से कमी करने का मन बनाया है। पिछले हफ्ते भी रुपये में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई थी, जो करीब 22 महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी। मात्र पिछले सप्ताह में भारत की इस आंशिक रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में 3.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि आरबीआई द्वारा रुपये की गिरती साख को बचाने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के बावजूद रुपये का इस तरह कमजोर होना जारी है।
आरबीआई को भी उम्मीद है कि रुपये की मजबूती के लिए देश में विदेशी निवेश की आवक बढ़नी चाहिए, वहीं सरकार ने कदम के सामने विपक्षी दलों की मांग एक रोड़े के रूप में काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई को भी रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 61.21 का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। वैसे सोमवार को भी रुपया गिरावट के साथ 60.88 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। उधर, यह गिरावट इसलिए भी उल्लेखनीय और आश्चर्यजनक है, क्योंकि डॉलर में भी कुछ अन्य बड़ी मुद्राओं की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट का असर शेयर बाज़ारों पर भी पड़ा है, और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स भी मंगलवार को लगभग डेढ़ महीने बाद एक बार फिर 19,000 के स्तर से नीचे पहुंच गया। पिछली बार सेंसेक्स 19,000 से नीचे इसी साल 27 जून को गया था।
बताया जा रहा है कि अमेरिका में रोजगार के नए आंकड़ों के आने के बाद अमेरिका के केंद्रीय ने बैंक ने आर्थिक सुधारों के लिए दी जा रही छूट में सावधानी से कमी करने का मन बनाया है। पिछले हफ्ते भी रुपये में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई थी, जो करीब 22 महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी। मात्र पिछले सप्ताह में भारत की इस आंशिक रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में 3.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि आरबीआई द्वारा रुपये की गिरती साख को बचाने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के बावजूद रुपये का इस तरह कमजोर होना जारी है।
आरबीआई को भी उम्मीद है कि रुपये की मजबूती के लिए देश में विदेशी निवेश की आवक बढ़नी चाहिए, वहीं सरकार ने कदम के सामने विपक्षी दलों की मांग एक रोड़े के रूप में काम कर रही है।