Monday, December 26, 2011

अगले माह पेट्रोल में 1 रु. की मूल्यवृद्धि संभव

पंडित  : डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये ने सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल के दामों में फिर से समीक्षा करने को मजबूर कर दिया है। भारत में ज्यादातर कच्चा तेल आयात किया जाता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपये के गिरते भाव से भारत में तेल आयात करना महंगा हो गया है।

सूत्रों की माने तो पेट्रोल के दाम में एक रुपये की बढ़ोतरी की जा सकती है। हलांकि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसपर राजनैतिक सहमति भी जरूरी होगी। माना यह भी जा रहा है कि सरकार के ज्यादातर घटक दल इससे सहमत नहीं हैं।
जब से पेट्रोल के दाम को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है तभी से सरकारी तेल कंपनियां हर महीने के 1 और 16 तारीख को पेट्रोल के दामों की समीक्षा करती है। 31 दिसंबर को इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम जैसी बड़ी कंपनियां फिर से इसकी समीक्षा कर सकती हैं। इसमें एक रुपये का इजाफा संभव है। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 65.64 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।

माया का ऑपरेशन क्लीन: चार मंत्रियों को किया बर्खास्त

पंडित । आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती, सरकार की छवि सुधारने में जुट गई हैं। कथित ऑपरेशन क्लीन इमेज के चलते मायावती ने अपने मंत्रिमंडल में से चार मंत्रियों को हटा दिया है।
हालांकि इस बर्खास्तगी का कारण साफतौर पर जाहिर नही किया है लेकिन सूत्रों की मानें तो इन मंत्रियों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने एवं भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इस तरह मायावती सरकार द्वारा बर्खास्त मंत्रियों की संख्या ११ तक पहुंच गई है।
मायावती सरकार द्वारा रविवार देर शाम जारी की गई बर्खास्तगी की लिस्ट में हायर एजुकेशन मिनिस्टर राकेशधर त्रिपाठी, एग्रीकल्चर एजुकेशन एण्ड रिसर्च मिनिस्टर राजपाल त्यागी, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकास स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री अवधेश कुमार वर्मा एवं होमगार्ड प्रनित्य रक्षा दल राज्य मंत्री हरीओम के नाम हैं।

ये सभी मंत्री काफी समय से लोकायुक्त की जांच के दायरे में थे सूत्रों का कहना है कि इन मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा के पास पर्याप्त सबूत है और वह किसी भी वक्त अपनी रिपोर्ट पेश कर सकते हैं। राजपाल त्यागी पर किडनेपिंग का मामला है और हरीओम के खिलाफ सीबीआई में फर्जी एन्काउंटर के मामले की जांच चल रही है।

कॉफी दे : तेज दिमाग, पतली कमर

पंडित । अगर आप अच्छी याद्दाश्त की चाहत रखते हैं साथ ही कमर का घेरा बढ़ने से चिंतित हैं, तो रोज एक कप कॉफी पीने से आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है। एक अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि कम खाना और खाने के बाद कुछ मीठे पदार्थ का सेवन करने की आदत छोड़ने की बजाय रात्रि भोजन के बाद एक कप कॉफी का सेवन अच्छी स्मरणशक्ति और कमर के बढ़ते मोटापे को रोकने में ज्यादा मददगार हो सकता है।

इटली में कम कैलोरी वाले भोजन पर हुए एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि कम भोजन का सेवन स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है और इससे आप दीर्घायु होते हैं। वैज्ञानिक इस बात को लम्बे समय से जानते थे लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि स्वास्थ्य सुधार में कितनी कैलोरी कम करना सही होगा।

अध्ययन में स्मरणशक्ति और सीखने की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण सीआरईबी 1 नाम के प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया गया था। शोधकर्ता जियोवामबाटिस्टा पैनि ने चूहे पर प्रयोग करते वक्त दिखाया कि कैलोरी की मात्रा कम करने से सीखने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने दिखाया कि कैलोरी कम करने से दिमाग में बनने वाले प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है।

Tuesday, December 20, 2011

सरकार की नीयत साफ नहीं, होगा अनशन: अन्ना

पंडित: रालेगण सिद्धी: जनलोकपाल बिल के लिए लड़ाई लड़ रहे बुजुर्ग गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर सरकार की नीयत साफ नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें लोकपाल का नया मसौदा मंजूर नहीं.

सिटीजन चार्टर बिल पर अन्ना ने कहा कि ये बिल भी कमजोर है. अन्ना से साफ साफ कहा कि लोकपाल बिल पर सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद का अपमान किया है.

अन्ना ने एलान किया है कि 27 दिसंबर से उनका अनशन होकर रहेगा. अलबत्ता इस बार अन्ना बेमियादी अनशन नहीं करेंगे. अन्ना ने कहा है कि 27 से 29 दिसंबर तक वो तीन दिन अनशन करेंगे इसके बाद 30 दिसंबर से तीन दिन तक जेल भरो आंदोलन होगा. ये भी तय हो गया है कि अन्ना अब दिल्ली में नहीं मुंबई में अनशन करेंगे.

अपने गांव रालेगण सिद्धी में अन्ना ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये अन्ना का आंदोलन नहीं है ये जनता का आंदोलन है जो जनलोकपाल के लिए है. उन्होंने कहा कि जनता इस सरकार को सबक सिखाएगी.

अन्ना हजारे ने कहा कि जब तक प्राण हैं तब तक लड़ता रहूंगा. उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी वे प्रचार करेंगे.

फेसबुक ने कैलिफोर्निया में बनाया अपना हेडक्‍वॉर्टर

वॉशिंगटन: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपना नया हेडक्वॉर्टर कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क सिटी में बनाया है.

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट का हेडक्वॉर्टर अब आधिकारिक रूप से मेनलो पार्क में 1601 विलो रोड पर स्थित है. नया हेडक्वॉर्टर एक मिलियन स्क्वेयर फिट में है. कैंपस के अंदर 10 इमारतेहैं. इसके अंदर कोई निजि दफ्तर नही है.

2000 से अधिक कर्मचारियों को पाउलो अल्टो से यहां ट्रांसफर किया गया है. कंपनी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर सोमवार को लिखा, 'आज सुबह कर्मचारियों को नए फेसबुक मेनलो पार्क परिसर के अंदर लाया गया

भगवदगीता राष्ट्रीय पुस्तक घोषित हो: सुषमा

पंडित:नई दिल्ली: रूस में गीता पर पाबंदी को लेकर भारत में चौतरफा विरोध और रूस के दुख जताने के बीच लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसे राष्ट्रीय पुस्तक घोषित करने की मांग की है.

सुषमा का तर्क है कि अगर गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित कर दिया गया तो इससे इस पुस्तक का कोई अपमान नहीं कर सकेगा.

हालांकि, इससे पहले विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने मंगलवार को संसद को आश्वासन दिया था कि गीता पर पाबंदी को लेकर भारत ने रूसी सरकार के सामने अपना विरोध जता दिया है.

एसएम कृष्णा के बयान का स्वागत करते हुए नेता प्रति पक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि केवल रूसी अधिकारियों के सामने रोष जताना काफी नहीं है.

उन्होंने कहा, "सरकार को गीता पर पाबंदी हटाने के लिए ज़रूरी कदम उठाने चाहिए और इसके साथ ही भगवत गीता को राष्ट्रीय पुस्तक घोषित किया जाना चाहिए."

इससे पहले विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा था, "हमारे दूतावास ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है. इस मुकदमे से जुड़े वकील मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं.

मंत्री ने कहा कि इस मामले को रूस के उच्च अधिकारियों के सामने भी उठाया गया है.

कृष्णा का कहना था, "हम इस्कॉन के वकीलों के साथ लगातार संपर्क में हैं. ऐसा लगता है कि रूस की स्थानीय अदालत में गीता के खिलाफ शिकायत किसी अज्ञानी या निहित स्वार्थी व्यक्ति ने की है."

विदेश मंत्री का कहना था कि कई रूसी विशेषज्ञों सहित भारत में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर एम कडादीन भगवद गीता को अच्छी तरह से समझते हैं और जानते हैं कि इस धार्मिक पुस्तक को अपार सम्मान के साथ लिखा गया है.

विवाद

रूस में भगवदगीता पर पाबंदी को लेकर एक अदालत में यह मामला छह महीने पहले दायर हुआ था, फिलहाल इस मामले की सुनवाई 28 दिसंबर तक टाल दी गई है.

साइबेरिया के तोम्स्क की एक अदालत में इस्कॉन के संस्थापक एसी भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद की लिखी 'भगवद्गीता ऐज इट इज' के रूसी भाषा के संस्करण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.

इसे उग्रवादी साहित्य कहकर साइबेरिया के तोमस्क की एक अदालत में चुनौती दी गई है.

विरोध के बीच सिटीजन चार्टर बिल संसद में पेश

पंडित : नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने मंगलवार को लोकसभा में सिटीजन चार्टर बिल पेश कर दिया. इस बिल को इस महीने की शुरुआत में कैबिनेट ने मंजूरी दी थी.

विधेयक में प्रत्येक नागरिक को समय बद्ध तरीके से सामान और सेवाओं की उपलब्धता के साथ-साथ शिकायतों के निवारण का अधिकार दिया गया है यानी सरकारी महकमों में कौन से काम कितने दिनों में होंगे इसका लेखा-जोखा दिया गया होगा और सरकारी अधिकारी को किसी काम को तय समय सीमा के भीतर ही करने होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो शिकायत की जा सकेगी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि यह बिल इसी सत्र में पारित हो जाएगा.

सरकार ने सिटीजन चार्टर बिल एक ऐसे समय में पर पेश किया है, जब टीम अन्ना इसे लोकपाल के दायरे में लाने की मांग कर रही है. टीम अन्ना ने मंगलवार को सरकार के जरिए सिटीजन चार्टर बिल पेश करने की आलोचना की है.

इस बिल के तहत पंचायत स्तर से लेकर केन्द्रीय कार्यालयों में शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. साथ ही साथ नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिये केन्द्रीय लोक शिकायत निवारण आयोग की स्थापना की व्यवस्था भी की गई है.

लोकपाल 'पास' कराने के लिए सत्र को बढ़ाया गया

पंडित : केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र को तीन के लिए बढ़ाने का फैसला किया. माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम विवादास्पद लोकपाल विधेयक को संसद में पारित कराने के लिए किया है.

शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर को समाप्त हो रहा था, जिसे 27, 28 और 29 दिसंबर तक के लिए बढ़ाया गया और इस तरह अब संसद की कार्यवाही 29 दिसंबर को समाप्त होगी.

संसदीय कार्य राज्य मंत्री हरिश रावत ने कहा कि इन तीन दिनों में लोकपाल विधेयक, न्यायिक जवाबदेही विधेयक और व्हिसल ब्लोअर बिल पर चर्चा होगी.

संसदीय कार्य राज्य मंत्री का कहना था कि शीतकालीन सत्र के विस्तार का फैसला विपक्षी और सहयोगी दलों से चर्चा के बाद किया गया.

इस बीच खबर है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल के अंतिम ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. यह बिल अब प्रधानमंत्री के नोट के साथ कानून मंत्रालय के पास भेजा जाएगा, जहां फिर इस कैबिनेट के पास रखा जाएगा.

लोकपाल के फाइनल ड्राफ्ट पर मंगलवार की शाम कैबिनेट की बैठक हो सकती है, हालांकि पिछले दो दिनों से इस पर कैबिनेट की बैठक टल रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोकपाल के फाइनल ड्राफ्ट पर मंत्रियों के बीच ही आम सहमति नहीं बन पा रही है.

दूसरी टीम अन्ना का रुख सख्त नजर आ रहा है, जहां सरकार ने शीतकालीन सत्र को बढ़ाने का फैसला किया है, वहीं टीम अन्ना के सदस्य कुमार विश्वास ने स्टार न्यूज़ से कहा कि 27 दिसंबर को अन्ना का प्रस्तावित अनशन ज़रूर होगा.

उनकी दलील है कि ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि जनता को यह बताया जा सके सरकार लोकपाल को लेकर किस कदर टालमटोल का रवैया अपना रही है.



यूपी विभाजन मामले में केंद्र पर बरसीं मायावती

पंडित : उत्तर प्रदेश विधानसभा के जरिए पारित राज्य के बंटवारे के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की ओर से सवाल खड़े किए जाने से नाराज़ मायावती केंद्र की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर जमकर बरसीं.

उन्होंने कहा कि लगता है विधानसभा के प्रस्ताव का केंद्र की नजर में कोई मोल नहीं है.

उन्होंने मंगलवार को लखनऊ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "सरकार के रवैया से लगता है कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश के बंटवारे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बजाए लटकाने में लगी हुई है."

हालांकि, मायावती ने स्वीकार किया केंद्र की ओर से प्रस्ताव को लौटाया नहीं गया है, बल्कि उस पर कुछ सवाल जरूर खड़े किए गए हैं.

बकौल मायावती केन्द्र सरकार की ओर से भेजा गया पत्र संविधान द्वारा राज्यों के पुनर्गठन के विषय में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन है.

मायावती ने मांग की कि उत्तरांचल के गठन के लिए अपनाई गयी प्रक्रिया के अनुरूप उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के लिए भी कार्रवाई की जानी चाहिए.

ग़ौरतलब है कि सोमवार को केंद्र सराकर ने मायावती के राज्य के बंटवारे के प्रस्ताव पर सवाल खड़ा करते हुए राज्य सरकार को एक पत्र भेजा था.



Thursday, December 1, 2011

छोटे दुकाननदारों को नहीं खतरा !

पंडित-: रिटेल मार्केट को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने के फैसले पर जो विरोध हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.

यह फैसला बहुत सोच-समझ कर लिया गया है. इससे हमारी अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है. एफडीआई की मंजूरी के बाद पूंजी जुटाने की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी. यह मुद्दा वर्षों पुराना है. एनडीए के दौर से ही इस पर बात चल रही है. नीतिगत स्तर पर फैसले लेने में देरी पर सवाल भी उठे थे.

लेकिन अब जब कि सब पटरी पर है, विरोध के स्वर उठने लगे हैं. गौर करन वाली बात यह है कि देश में पिछले दस सालों में कई रिटेल कंपनियां उभरी हैं. विभिन्न शहरों में इनके स्टोर हैं लेकिन कहीं से भी प्रत्यक्षत: यह बात सामने नहीं आई कि छोटे किराना दुकानदारों का धंधा चौपट हुआ हो. फिर सरकार ने संभावित कुछ खतरों से निपटने के लिए इसमें कुछ प्रावधान भी कर रखे हैं. ऐसे में छोटे दुकानदारों के लिए डरने वाली कोई बात नहीं है.

आज देश में रिटेल का बाजार प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. हमारी आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में छह दशमलव 9 प्रतिशत की रही है जो पिछले दो सालों में सबसे कम है. जाहिर है वैश्विक अर्थव्यवस्था का मंदी के दौर में जाने का असर हम पर भी पड़ रहा है. ऐसे में रिटेल में निवेशकों के आने से हमारी अर्थव्यवस्था को गति ही मिलेगी. फिर लाखों लोगों को रोजगार मिलना भी तय है.

विपन्नता के दौर में फंसे किसानों का भी अपनी उपज का वाजिब दाम मिलेगा. कालाबाजारियों और बिचौलियों पर आफत आएगी. इतना ही नहीं, फल-सब्जी और अनाज के भंडारण में भी करोड़ों का निवेश होगा जिससे इनकी बर्बादी रुकेगी. इससे कृषि क्षेत्र की विकास दर में बढ़ोतरी तय है. जो इस आशंका में हैं कि ऐसा होने से कीमतें बढ़ेंगी, वे भ्रम में हैं. कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण हर हाल में कीमतों पर नियंत्रण बना रहेगा. एक अनुमान के मुताबिक अगले पांच सालों में इससे 10 बिलियन डॉलर की राशि अपने देश में आएगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए पुश अप का काम करेगी.

मेरी समझ से सरकार ने एक समझ भरा और संतुलित कदम उठाया है. सरकार ने केवल उन्हीं शहरों में रिटेल स्टोर खोलने की इजाजत दी है, जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है. ऐसे में छोटे शहरों और कस्बे के कारोबारियों पर तो कोई असर ही नहीं पड़ने वाला. रही बात बड़े शहरों की तो वहां भी अप्रत्यक्ष तौर पर कारोबारियों को नुकसान नहीं होने वाला. मैंने बड़े शहरों में मौजूद देसी रिटेल स्टोर का प्रभाव कहीं भी गलत नहीं देखा है.

ये स्टोर और हाट-बाजार या छोटी दुकानें एक-दूसरे के पूरक के तौर पर ही काम करती हैं. विदेशी कंपनियां कहीं से भी किसी का नुकसान करने की स्थिति में नहीं होंगी. यहां तक कि उन्हें अपनी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा कोल्ड स्टोरेज चेन बनाने और कच्चे सामान की परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगाना होगा. इतना ही नहीं, कुल खरीद का 30 प्रतिशत हिस्सा उन्हें छोटे और मझोले उद्यमों से उठाना होगा. ऐसे में नुकसान होने की बात समझ से बाहर है.

बहरहाल, आशंका की कोई वजह नहीं. आशंका तो तब भी व्यक्त की गई थी जब देश ने आर्थिक सुधार की नीति पर चलने का फैसला लिया था. कहा गया था कि देश की कंपनियां प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगी लेकिन हुआ इसका उल्टा. अत: हमें विदेशी निवेश को लेकर डर का माहौल बनाने की जरूरत नहीं है. पूंजी निवेश हमारी जरूरत है और इससे हमारे बाजार को मदद ही मिलेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर सुधरेगा और बाजार में तरलता आएगी. सरकार को चाहिए कि विरोध के बाद वे अपने कदम न खींचे बल्कि विरोधियों को इसके सकारात्मक पहलुओं से वाकिफ करवाएं.

बढ़ती ही रहेगी महंगाई

पंडित-: शीत सत्र की शुरुआत से ही संसद ठप है. गतिरोध की वजहों में महंगाई का मुद्दा भी शामिल है.

सवाल उठता है कि क्या संसद सत्र को ठप करके मंहगाई पर काबू पाया जा सकता है? क्या बहस से मंहगाई काबू में आ जाएगी?

पिछले अनुभवों से तो ऐसा नहीं लगता. लेकिन यह बात शायद विपक्षी नेताओं की समझ में नहीं आ रही है. सचाई यह है कि विकास के पायदान पर ऊपर की ओर अग्रसर देश में बढ़ती मंहगाई पर काबू पाना लगभग नामुमकिन है. खुली अर्थव्यवस्था में बाजार ही सब कुछ तय करता है जो मांग और आपूर्ति के बहुत ही आधारभूत सिद्धांत पर चलता है.

पिछले दो दशकों में हमारे देश में हर चीज की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है आपूर्ति में बढ़ोतरी नहीं हुई. लिहाजा वस्तुओं के दाम बढ़े हैं. इस अवधि में भारतीयों की खर्च करने की क्षमता में भी तकरीबन दो गुना इजाफा हुआ है. भारत में एक नए मध्यवर्ग का उदय हुआ है जिसके पास पैसा हैं. मैंकेजी के एक सर्वे के मुताबिक अगर भारत की विकास दर भविष्य में वर्तमान स्तर पर कायम रहती है तो भारतीय बाजार और उपभोक्ताओं के नजरिए में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है.

एक मजबूत और नए मध्यवर्ग का उदय संभव है जिसकी आय अगले दो दशकों में लगभग तिगुनी हो जाएगी. इसका फायदा सिर्फ शहरी मध्यवर्ग को नहीं होगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के हाउसहोल्ड आय में भी बढ़ोतरी होगी. जिस ग्रामीण हाउसहोल्ड की आय अभी 2.8 प्रतिशत है उसके अगले दो दशकों में बढ़कर 3.6 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है. जाहिर है, शहरी और ग्रामीण दोनों उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता में वृद्धि होगी. नतीजा यह कि खाद्य पदाथरे व अन्य जरूरतों पर लोगों का खर्च बढ़ेगा. यदि उस अनुपात में उत्पादन नहीं बढ़ता तो मूल्य बढ़ोतरी को कतई रोका नहीं जा सकता.

गौरतलब है कि महंगाई सिर्फ भारत में ही नहीं बढ़ रही है. विश्व के कई अन्य देशों में जहां लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है, उनकी आय और क्रयशक्ति में बढ़ोतरी हो रही है. वहां हर तरह की कमोडिटी के दामों में इजाफा हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक अगले दो दशकों में विश्व में खाद्य पदाथरे से लेकर बिजली, पानी, पेट्रोल और गाड़ियों की मांग बेहद बढ़ जाएगी. हर तरह के कमोडिटी की खपत बढ़ने से कीमतों पर भारी दबाव पड़ सकता है.

अंतराष्ट्रीय एजेंसी मैकेंजी की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैलोरी खपत के बीस फीसद तक बढ़ जाने का अनुमान लगाया जा रहा है जिसका असर साफ तौर पर खाद्य महंगाई दर पर पड़ेगा और इस सेक्टर की कमोडिटी महंगी हो जाएगी. इसी तरह चीन में भी प्रति व्यक्ति मांस कीखपत में 60 फीसद तक बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है.

वहां मांस की खपत प्रति व्यक्ति 80 किलोग्राम तक सालाना होने का अनुमान है. अगले बीस सालों तक भारत में बुनियादी ढांचे पर भी खासा जोर दिए जाने की योजना है. अगर वह योजना परवान चढ़ती है तो निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली चीजों की खपत बढ़ेगी और अगर उस अनुपात में उत्पादन नहीं बढ़ा तो उसका दबाव भी मूल्य पर पड़ेगा.

ऐसा नहीं है कि कमोडिटी की खपत में इस तरह की बढ़ोतरी से भारत और विश्व का पहली बार पाला पड़ा है. बीसवीं शताब्दी में भी इस तरह का दबाव महसूस किया गया था जब पूरी सदी के दौरान विश्व की जनसंख्या तिगुनी हो गई थी और तमाम तरह की चीजों की मांग में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली थी. लेकिन उस वक्त कीमतों पर यह दबाव इस वजह से ज्यादा महसूस नहीं किया गया था क्योंकि उस सदी के दौरान बहुत सारी वैकल्पिक वस्तुओं की खोज के अलावा पूरे विश्व में कृषि क्षेत्र में जबरदस्त बदलाव हुआ था. नतीजे में खाद्य उत्पादन में हुई बढ़ोतरी ने मूल्य के दबाव को थाम-सा लिया था और कीमतें बेकाबू नहीं हो पाई.

लेकिन इस सदी में पिछली सदी के मुकाबले तीन तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं. कार्बन उत्सर्जन के चलते मौसम पर पड़ने वाले असर को लेकर जिस तरह से पूरे विश्व में जागरूकता आई है, उससे किसी भी प्रकार का अंधाधुंध उत्पादन संभव नहीं है. दूसरा यह कि अब कमोडिटी आपस में इस कदर जुड़ गए हैं कि एक-दूसरे को प्रभावित करने लगे हैं. मसलन, डीजल की कीमतों में इजाफा होता है तो उसका दबाव खाद्य पदाथरे के मूल्य पर भी पड़ता है.

जरूरत इस बात की है कि सरकारें मूल्य रेगुलेट करने की बजाए कमोडिटी के उत्पादन और मांग के मुताबिक सप्लाई बढ़ाने की नीति बनाएं. इसमें आनेवाली बाधा दूर करें तभी महंगाई पर काबू पाया जा सकता है. अन्यथा हर तीन महीने पर बयान आते रहेंगे लेकिन कीमतें बढ़ती ही रहेंगी.

पाकिस्तान ने लगाई डर्टी पिक्चर पर रोक

पंडित-: विद्या बालन की फिल्म डर्टी पिक्चर पर पाकिस्तान ने उसके बोल्ड दृश्यों के कारण रोक लगा दी है.
प्रतिबंध की पुष्टि करते हुए फिल्म की निर्माता एकता कपूर ने कहा कि मुझे लगता है कि उन देशों के लोग अभी भी महिलाएं और उनके सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों को लेकर असहज हैं.
फिल्म में 80 के दशक की एक डांसिंग स्टार के शिखर तक पहुंचने और बिखरने की कहानी दिखाई गई है.
फिल्म 2 दिसंबर को भारत में प्रदर्शित हो रही है.
विद्या के अलावा नसीरुद्दीन शाह, तुषार कपूर और इमरान हाशमी ने इसमें अभिनय किया है.

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